Tuesday, December 22, 2015

ऐसा हुआ कि अपराध की सजा मुकम्मल करने के बजाय ये व्यवस्था दी कि अपराधी की उम्र १८ साल और उसके ऊपर होगी! १८ साल से कम की आयु के लोगों को अपराधी न माना जाये। इस बात की तामील की जाये कि इस उम्र से एक दिन पहले भी यदि किसी ने  कोई ऐसा कार्य किया है, जिसे कानून अपराध मानता है, वह अपराध नहीं  माना  जायेगा और ऐसे मामले में गिरफ़्तारी, अवैध होगी। पुलिस ये अपना फ़र्ज़ समझे कि इस तरह के मामले में कोई मर्ग़ क़ायम न  जाये। इस तरह के मामलों से अदालत का क़ीमती वक़्त ज़ाया होता है!..........................  फ़ैसला आप पर!

Wednesday, February 15, 2012

पिछले दिनों कर्णाटक विधानसभा में जो अनहोनी हुयी, वह एक दुर्भाग्य है। एक और दुर्भाग्य है कि जिस विरोधी पार्टी सदस्य के इशारे पर यह काम अखबारों और दूरदर्शन की विभिन्न समाचार धाराओं में इस खबर को सरगर्मी से दिखाया गया, उसने केवल यह इसलिए किया की विरोधी दल के सदस्य इसमें शामिल हैं। क्या वे सदन की गरिमा की रक्षा के लिए, वहीँ आपत्ति दिखाते हुए उसे बंद नहीं कर सकते थे? दरअसल, वे ऐसा कर देते तो सबको मसाला कैसे मिलता?
 एक विधायक जो लाखों लोगों के मत पाकर विधानसभा में पहुंचता है, कितना ग़ैर ज़िम्मेदार हो सकता है, ये इस बात का ताज़ा उदाहरण है।
अभी हाल में ही जो कुछ कर्नाटक विधानसभा में घटित हुआ; उसमें ध्यान देनेवाला पहलू यह है कि विपक्षी दल के सदस्य जिसने इस घटना को मीडिया के सामने लाया, वह इसको सदन के अन्दर ही निबटा सकता था। इस घटना से सदन कि गरिमा को नुक्सान हुआ है। जनता के सामने ये बात आने के बाद आम राय यही बनी होगी कि ऐसा सदन में नहीं होना चाहिए था। तब, यहाँ यह महत्त्वपूर्ण है कि सदन में ये पर्याप्त व्यवस्था हो कि सभी विधायक गरिमा के अनुरूप व्यवहार करें, न कि आम जन का मुद्दा बन जाएँ।
                                                                  फैसला आप पर!

Wednesday, September 29, 2010

धरोहर!

 दैनिक भास्कर में एक दैनिक स्तम्भ है-आज की ट्वीट| २० अगस्त को इसी स्तम्भ में प्रख्यात अभिनेता अनुपम खेर की अभिव्यक्ति प्रकाशित हुई जो    विचार-मीमांसा करने को प्रेरित करती है| आजकल संघर्ष से वंचित सुख में पल रहे बचपन को लक्ष्य करके यह बात कही:

Friday, September 24, 2010

विचार-मीमांसा!: मेहनत !

विचार-मीमांसा!: मेहनत !: "'हम अच्छी मेहनत करेंगे, इस विश्वास के साथ कि जो भी फसल होगी, भरपूर होगी! उसका दाना-दाना संसार की भूख मिटाने में सक्षम होगा! हम ऐ..."

विचार-मीमांसा!: अब्दुल कलाम के विचार!

विचार-मीमांसा!: अब्दुल कलाम के विचार!: "अभी हाल ही में, मुझे मेरे मित्र का इलेक्ट्रॉनिक-संदेश मिला जिसमें पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के एक लेख की प्रति थी लेख में जो कहा गया था ..."